BMW छोड़, मारुति 800 को निहारते थे मनमोहन सिंह; SPG से बार-बार कहते यह बात, बॉडीगार्ड रहे पूर्व IPS ने आज सुनाई वो कहानी
Dr. Manmohan Singh Maruti 800 Story Former IPS Asim Arun SPG
Manmohan Singh Maruti 800: प्रख्यात अर्थशास्त्री और भारत के 2 बार प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। वहीं निधन के बाद जहां एक तरफ उनकी कई उपलब्धियों की चर्चा हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ उनकी सादगी भरी जिंदगी और उनके शालीन व्यक्तित्व से जुड़ी कई कहानियां भी चर्चा में बनी हुईं हैं। मनमोहन सिंह भले ही शांत स्वभाव के व्यक्ति थे और बेहद कम बोलते थे, लेकिन उनके साथ काम करने वाले लोग आज उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे।
साथ ही वो मनमोहन सिंह के साथ काम करने के दौरान के अपने अनुभवों और अलग-अलग कहानियों को भी साझा कर रहे हैं। ये कहानियां, ये अनुभव ऐसे हैं। जिनसे यह पता चलता है कि मनमोहन सिंह अपनी जिंदगी में कितने उदार थे और वह प्रधानमंत्री बनने के बाद भी आम आदमी की तरह अपनी सामान्य पृष्टभूमि को कभी नहीं भूले। उन्होंने हमेशा अपनी उस पृष्टभूमि को अपने अंदर बसाये रखा। यही कारण है कि, उनकी सादगी भी हमेशा उनके अंदर से झांकती रही। वह अपने कर्तव्यों के प्रति वफादार और ईमानदार थे।
BMW छोड़, मारुति 800 को निहारते थे मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह से जुड़ी एक कहानी पूर्व IPS और बीजेपी नेता असीम अरुण ने सबके सामने रखी है। असीम अरुण इस समय में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में मंत्री हैं। असीम अरुण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मनमोहन सिंह की कार मारुति 800 से जुड़ी कहानी सुनाई है। असीम अरुण ने बताया है कि, जब वह मनमोहन सिंह के एसपीजी बॉडीगार्ड थे तो उस दौरान पूर्व पीएम किस तरह से लग्जरी BMW छोड़ अपनी मारुति 800 को निहारते रहते थे।
BMW से ज्यादा मनमोहन को मारुति 800 पसंद थी
असीम अरुण ने लिखा "मैं 2004 से लगभग तीन साल उनका बॉडी गार्ड रहा। एसपीजी में पीएम की सुरक्षा का सबसे अंदरुनी घेरा होता है - क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम जिसका नेतृत्व करने का अवसर मुझे मिला था। एआईजी सीपीटी वो व्यक्ति है जो पीएम से कभी भी दूर नहीं रह सकता। यदि एक ही बॉडी गार्ड रह सकता है तो साथ यह बंदा होगा। ऐसे में उनके साथ उनकी परछाई की तरह साथ रहने की जिम्मेदारी थी मेरी।''
असीम अरुण ने आगे बताया, ''डॉ साहब की अपनी एक ही कार थी- मारुति 800, जो पीएम हाउस में चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी। मनमोहन सिंह जी बार-बार मुझे कहते- असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद नहीं, मेरी गड्डी तो यह है (मारुति)। मैं समझाता कि सर यह गाड़ी आपके ऐश्वर्य के लिए नहीं है, इसके सिक्योरिटी फीचर्स ऐसे हैं जिसके लिए एसपीजी ने इसे लिया है। लेकिन जब कारकेड मारुति के सामने से निकलता तो वे हमेशा मन भर उसे देखते। जैसे संकल्प दोहरा रहे हो कि मैं मिडिल क्लास व्यक्ति हूं और आम आदमी की चिंता करना मेरा काम है। करोड़ों की गाड़ी पीएम की है, मेरी तो यह मारुति है''
मैं 2004 से लगभग तीन साल उनका बॉडी गार्ड रहा। एसपीजी में पीएम की सुरक्षा का सबसे अंदरुनी घेरा होता है - क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम जिसका नेतृत्व करने का अवसर मुझे मिला था। एआईजी सीपीटी वो व्यक्ति है जो पीएम से कभी भी दूर नहीं रह सकता। यदि एक ही बॉडी गार्ड रह सकता है तो साथ यह बंदा… pic.twitter.com/468MO2Flxe
दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। गुरुवार रात (26 दिसंबर) को मनमोहन सिंह ने दिल्ली एम्स में अपने जीवन की अंतिम सांस ली। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। मनमोहन सिंह 92 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए। मनमोहन सिंह के निधन के चलते पूरा देश गमगीन हो गया है। लोग उनकी शालीनता और सादगी के कायल रहे।
वहीं भारत सरकार की तरफ से देश में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया गया है। साथ ही शुक्रवार को होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रम और उत्सव कैंसिल कर दिए गए हैं। साथ ही मनमोहन सिंह के सम्मान में भारत सरकार और विभिन्न राज्यों की सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया है। डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ कल 28 दिसंबर को दिल्ली में किया जाएगा। मनमोहन सिंह के अंतिम दर्शन और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए तमाम बड़ी हस्तियां उनके आवास पहुंच रहीं हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का शोक संदेश, आवास पहुंचकर श्रद्धांजलि दी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह के निधन पर शोक संदेश जारी किया है। इससे पहले पीएम मोदी ने डॉ. मनमोहन सिंह के आवास पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और नमन किया। साथ ही उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा ने भी आवास पहुंचकर मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी है। इधर, केंद्रीय कैबिनेट की बैठक कर इसमें पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि दी जा रही है।
डॉ. मनमोहन सिंह के बारे में
डॉ. मनमोहन सिंह 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब में एक सिख परिवार में जन्मे थे। 1947 में भारत विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया था और यहां पहले हल्द्वानी और इसके बाद अमृतसर में शिफ्ट हो गया। मनमोहन जब बहुत छोटे थे तब ही उनकी मां अमृत कौर का देहांत हो गया। जिसके बाद उनकी नानी जमना देवी ने उनका पालन-पोषण किया और वे उनके बहुत करीब थे। मनमोहन सिंह की कुछ शुरुवाती पढ़ाई उर्दू माध्यम में भी हुई.
वहीं मनमोहन सिंह जब 1948 में अमृतसर आए तो उन्होंने यहां हिंदू कॉलेज में दाखिल लिया और आगे की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय (तब होशियारपुर) में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया और 1952 और 1954 में स्नातक और मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद मनमोहन सिंह ने ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भी उच्च शिक्षा ली। उन्होंने 1957 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पर अध्यन जारी रखा। वहीं मनमोहन सिंह ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
डॉ. मनमोहन सिंह का राजनीतिक सफर
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद डॉ. मनमोहन सिंह ने 1966-1969 के दौरान संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया। वह यूएन में आर्थिक मामलों के अधिकारी के रूप में चुने गए थे। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बनने से बहुत पहले ही भारत के लिए अहम भूमिका निभाने लग गए थे। 1970 और 1980 के दशक के दौरान मनमोहन सिंह ने भारत सरकार में कई प्रमुख पदों पर कार्य किया।
डॉ. मनमोहन सिंह 1971 में वो वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार नियुक्त किए गए, फिर 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। वह 1972 से 1976 तक वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे। इसके बाद वह रिजर्व बैंक के गवर्नर (1982-1985) और योजना आयोग के प्रमुख (1985-1987) भी बने।
1991 में पहली बार भारत के वित्त मंत्री बने मनमोहन
1991 में जब भारत एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तब उस समय के नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री के रूप में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। मनमोहन ने वित्त मंत्री बनते ही देश की अर्थ व्यवस्था में सुधार करना शुरू कर दिया। मनमोहन ने वित्त मंत्री रहते कई संरचनात्मक सुधार किए, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था उदार हुई।
वो मनमोहन सिंह ही थे जिनके चलते भारत में आर्थिक क्रांति आई और भविष्य के लिए भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा बदल गई। इसके साथ ही डॉ. मनमोहन सिंह एक शानदार और विद्वान अर्थशास्त्री की ख्याति पूरी दुनिया में पा गए। मनमोहन सिंह ने 1991 से 1996 तक नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री की अहम जिम्मेदारी निभाई। वह प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के आर्थिक सलाहकार और UGC के भी अध्यक्ष रहे।
हालांकि, 1996 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा। इसके बाद, 1998-2004 की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान मनमोहन सिंह राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। मनमोहन सिंह 1991 में पहली बार संसद में कदम रखा था। जब उन्हें असम से राज्यसभा का सदस्य चुना गया था। इसके बाद फिर 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर राज्यसभा के सदस्य बने। मनमोहन सिंह कभी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे, उन्होंने हमेशा राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया।
भारत के 2 बार प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह 2004 में पहली बार देश के 13वें प्रधानमंत्री बने थे। 22 मई 2004 को डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। इसके बाद उन्होंने मई 2014 तक प्रधानमंत्री पद पर दो कार्यकाल पूरे किए। यानि मनमोहन 2004 से 2009 और फिर 2009 से 26 मई 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। मनमोहन सिंह देश के पहले सिख प्रधानमंत्री बने थे। वे जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी के बाद चौथे सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री रहे। वहीं वह नेहरू के बाद पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा चुने जाने वाले पहले प्रधानमंत्री भी थे।
आरटीआई मनमोहन सिंह की ही देन
मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए भारत में कई बड़े फैसले लिए और अहम योजनाओं को क्रियान्वित किया। वो मनमोहन सिंह ही थे जो RTI को लेकर आए और सरकार को जवाबदेह बनाया। मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए ही भारत में सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए जून 2005 में सूचना का अधिकार (RTI) कानून लागू किया गया। इसी के साथ सितंबर 2005 में उनकी सरकार ने रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत की जिसमें प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के रोजगार की गारंटी देने का कानून बनाया गया। बाद में यही योजना मनरेगा के नाम से मशहूर हुई।
वहीं मनमोहन के कार्यकाल में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुवात की गई। वहीं विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के तहत जनवरी 2009 में पहचान के लिए आधार कार्ड योजना की शुरुआत हुई। जो आज देश के सभी नागरिकों की पहचान बन चुकी है। मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान साल 2013 में देश के गरीब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चत करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया गया था।
साल 2008 में कृषि ऋण माफी योजना
डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार ने साल 2008 में कृषि ऋण माफी योजना भी शुरुवात की थी। जिसमें कृषि संकट को दूर करने के लिए 60 हजार करोड़ रुपए के ऋण माफ कर किसानों को काफी राहत प्रदान की गई। वहीं आर्थिक क्षेत्र के इन बड़े कदमों के अलावा मनमोहन सिंह के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में मार्च 2006 में अमेरिका से हुई ऐतिहासिक न्यूक्लियर डील सबसे प्रमुख है।
इस समझौते के तहत, भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) से छूट मिली। इसके तहत भारत को अपने नागरिक और सैन्य परमाणु कार्यक्रमों को अलग करने की अनुमति मिली। इस डील के तहत भारत को उन देशों से यूरेनियम आयात करने की अनुमति मिली, जिनके पास ये तकनीक है। वहीं मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी। मनमोहन सिंह को भारत की आर्थिक क्रांति का जनक माना जाता है। उन्होंने भारत की कंगाल हो चुकी अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी।